एक व्यक्ति रूखी रोटी खा रहा था। साथ ही मिर्च खाने जैसे सीकारे भी ले रहा था।
साथी ने कहा-रूखी रोटी में कहीं चिरपराहट होती है जो मिर्च जैसे सीकारे लेते हो। उसने कहा कल्पना की मिर्च से मन बहला रहा हूँ।
साथी ने कहा यदि कल्पना ही करनी है तो चाशनी की कर और मिठास का आनन्द ले। कडुआ मुँह क्यों करता है?