ज्ञानं न भवतो भिन्नं ज्ञेयं ज्ञानत् पृथं नहि अतो न त्वितरं किंचित् तस्माद्भेदो न विद्यते॥ -योग वासिष्ठ
ज्ञान मुझ (आत्मा) से कोई भिन्न वस्तु नहीं है, इसी प्रकार ज्ञान द्वारा ज्ञात होने वाले विषया (ज्ञेय) भी मुझ (आत्मा) से भिन्न वस्तु नहीं है। इसीलिए आत्मा के अतिरिक्त न तो कुछ है और न किसी प्रकार का भेद विद्यमान है।