एक महात्मा पहाड़ी पर चढ़ रहे थे, उसी समय एक दस वर्षीय लड़की अपने दो वर्ष के भाई को गोदी में लिए चढ़ रही थी, महात्मा ने पूछा “बच्ची तू इस भारी बच्चे को गोद में लिए कैसे चढ़ पायेगी।” लड़की ने तुरन्त कहा—
“बाबा यह भारी नहीं है, भाई है”
महात्मा गदगद हो गए। जहाँ प्रेम व भावना होती है वहाँ कोई काम भारी व कष्टमय नहीं होता अन्यथा भावना न हो तो जीवन ही भारी लगने लगे।
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