गायत्री महा विद्या के अमूल्य ग्रन्थरत्न

June 1978

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                                                             गायत्री महा विद्या के अमूल्य  ग्रन्थरत्न

   हजारों ग्रन्थों की खोज, अगणित गायत्री- उपासकों के सहयोग एवं तीस वर्ष की व्यक्तिगत साधना के फलस्वरूप विनिर्मित इन ग्रन्थों की एक-एक पंक्ति अनुभव के आधार पर लिखी गई है। गायत्री साधना से समुचित लाभ उठाने के इच्छुकों के लिए यह साहित्य अनुभवी गुरु के समान पथप्रदर्शन करता है। इस विषय की सभी जिज्ञासाओं तथा शंकाओं का इन पुस्तकों में समुचित समाधान मौजूद है।

1. गायत्री महाविज्ञान तीनों भाग मू. 18)

    प्रथम भाग- गायत्री विद्या का वैज्ञानिक आधार, गुप्त शक्तियों का रहस्य, नित्य उपासना, अनुष्ठान विधि, गायत्री सम्बन्धी शंकाओं का समाधान, अनेक कष्टों का निवारण एवं अनेक कामनाओं की पूर्ति के लिए लगाये जाने वाले बीज मन्त्रों का साधन विधान, आत्म-साक्षात्कार एवं ऋद्धि-सिद्धियों का मार्ग, स्त्रियों की विशेष उपासना विधियाँ आदि अनेक महत्वपूर्ण विषयों का सुबोध ढंग से प्रतिपादन। मु. 6)

द्वितीय भाग - गायत्री द्वारा वाममार्गीय तान्त्रिक विधान के अनुसार मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण मुद्रा आदि के अनेक विधानों का वर्णन तथा गायत्री गीता, गायत्री-स्मृति, गायत्री संहिता, गायत्री - उपनिषद्, गायत्री-पारायण, गायत्री-हृदय, गायत्री-पंजर, सहस्रनाम आदि का संग्रह। मू. 6)

तृतीय भाग - गायत्री महामन्त्र द्वारा 24 प्रकार के योगाभ्यासों के साधना विषयक विधान। जप-योग, प्राण-योग, शब्दयोग, नादयोग, हठयोग, कुण्डलिनी-योग, षट्चक्र वेधन की साधनाएंँ तथा अन्नमय, कोश, मनोमय-कोश, प्राणमय-कोश को सिद्ध करने के रहस्य मार्ग का दिग्दर्शन। मू. 6)

2. गायत्री यज्ञ विधान दोनों भाग मू. 6)

प्रथम भाग - गायत्री यज्ञ का विधान, लाभ एवं महत्व का तर्क प्रमाण, शास्त्रीय विधान के आधार पर बहुत ही खोजपूर्ण वर्णन। मू. 3)

द्वितीय भाग - (सामूहिक गायत्री हवन) - गायत्री हवन करने की शास्त्रोक्त विधि, प्रक्रिया, जल यात्रा, मण्डप-प्रवेश, वेदी-पूजन, कुशकण्डिका, अग्निस्थापन, आहुति मन्त्र, पूर्णाहुति, वसोधरा, घृतावघ्राण, भस्मधारण, अभिसिंचन आदि का पूरा विधि-विधान समझकर बड़े यज्ञों का आचार्यत्व किया जा सकता है। मू. 3)

   3. गायत्री चित्रावली- विविध प्रयोजनों के लिए गायत्री माता के ध्यान करने योग्य आर्ट पेपर पर छपे 24 तरंगें चित्र तथा सरल भाषा में उनका महत्व प्रतिपादन। मू. 3)

  4. गायत्री मन्त्रार्थ- अनेक ग्रन्थों में अनेक ऋषियों द्वारा गायत्री महामन्त्र के अनेक प्रकार के किये हुए अर्थों का संग्रह। राक्षसराज रावण का किया हुआ अर्थ भी इसमें है। मू. 3)

5. गायत्री सम्बन्धी छोटा प्रचार साहित्य

1. छोटा गायत्री ट्रैक्ट साहित्य सैट- तिरंगे कवरों वाले 32-32 पृष्ठ के गायत्री ट्रैक्ट, जिनमें गायत्री उपासना तथा उसकी वैज्ञानिकता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है। प्रचार की दृष्टि से इन ट्रैक्टों का महत्व असाधारण है। प्रत्येक ट्रैक्ट का मू. 50 पैसा (15 पुस्तकों के सैट का मू. 7)  ट्रैक्टों के नाम इस प्रकार हैं -

1- गायत्री का स्वरूप और रहस्य, 2- गायत्री की गुप्त शक्ति, 3- सर्वसुलभ गायत्री साधना, 4- गायत्री शक्ति का स्रोत सविता देवता, 5- गायत्री और उसकी प्राणप्रक्रिया, 6- गायत्री पंचमुखी और एकमुखी, 7- गायत्री की पंचविधि दैनिक साधना, 8- गायत्री की विशेष साधना, 9- गायत्री मन्त्र की विलक्षण शक्ति, 10- गायत्री की असंख्य शक्तियाँ, 11- गायत्री की सिद्धियाँ, 12- गायत्री शक्ति का नारी स्वरूप, 13- स्त्रियों का गायत्री अधिकार, 14- गायत्री और यज्ञोपवीत, 15- गायत्री और यज्ञ का सम्बन्ध।

2. संक्षिप्त गायत्री हवन- सामूहिक गायत्री हवन तथा पारिवारिक उत्सवों के अवसर पर किये जाने वाले एक घण्टे में पूरे होने वाले संक्षिप्त गायत्री हवन का विधान। मू. 40 पैसे।

3. दैनिक गायत्री साधना- नित्य के जप, हवन का सामान्य विधान। मू. 40 पैसे।

4. गायत्री चालीसा मू. 10 पैसे।

5. युग - निर्माण का सत्संकल्प मू0 .05 पैसे।

पुस्तकें मँगाने का पता-

अखण्ड - ज्योति प्रकाशन, मथुरा

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