स्वर्ग द्वारेण तत्तुल्यं हरिद्वारं न संशयः सप्तगंगे त्रिगंगे च शक्तावर्त समाहितः। देवान् पितृश्च विधिवत् पुण्य लोके महीयते।
-पद्मपुराण
हरिद्वार स्वर्गद्वार के समतुल्य है। वहाँ सप्त गंगा, त्रिगंगा और शक्तावर्ल (शिवालक) पर्वत है। इस पुण्यक्षेत्र में देवों और पित्रों के तृप्त करने से पुण्यलोक की प्राप्ति होती है।
स्कन्द पुराण, महाभारत, नारद पुराण एवं रुद्र यामल में भी हरिद्वार महात्म्य विस्तारपूर्वक वर्णित है।
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