अकबर के यहाँ माँगने के लिए गया (kahani)

June 1978

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एक फकीर बादशाह अकबर के यहाँ माँगने के लिए गया, फकीर ने देखा कि अकबर खुदा की इबादत कर यह दुआ माँग रहे थे कि उसकी धन दौलत बरकरार रहे तथा उसका साम्राज्य वैसा ही बना रहे। फकीर यह देख लौटने लगा। इसी बीच बादशाह की इबादत भी पूरी हो गई। बादशाह ने पूछा, वह क्यों आया था व बिना बताये, बिना कुछ कहे व माँगे ही क्यों वापस जा रहा है। फकीर ने उत्तर दिया, “ मुझ में व आप में क्या अन्तर रहा, मैं आपसे माँगने आया था पर मैंने देखा कि आप भी अपने लिए किसी और से माँग रहे हैं, एक भिखारी फिर दूसरे भिखारी से क्यों माँगे, अतः मैं अब उसी सर्वशक्तिमान से माँगने जा रहा हूँ जो सबको देता है व सबके साथ आपको भी। भिखारी की उक्ति बादशाह ने समझी- बात सच है। याचना में मध्यस्थता कैसी?

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