अपने लम्बे जीवन में मैंने कुछ ध्रुव सत्य देखे हैं। पहला यह है कि घृणा, द्वेष और द्रोह को पल-पल पर मरना पड़ता है। दूसरा यह कि सहिष्णुता से बड़ी कोई प्रेम- प्रीति नहीं होती। तीसरा यह है कि ज्ञान को ही पोषण देने से मनुष्य को आज की कालरात्रि भोगनी पड़ रही है। ज्ञान के साथ-साथ विवेक को भी पुष्ट करते चलिए। भविष्य की हर सीढ़ी निरामय होगी।
-बट्रेडरसेल
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