मनुष्य जीवन में सुख-दुःख

January 1972

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मनुष्य जीवन में सुख-दुःख, प्रसन्नता, उदासीनता सभी उनकी मनःस्थिति के परिणाम हैं। मन में इतनी क्षमतायें विद्यमान हैं कि चाहे जैसी परिस्थिति उत्पन्न की जा सकती है। यह एक उपजाऊ खेत कहा जा सकता है जिसमें अच्छी फसलें भी पैदा की जाती हैं और खरपतवार तथा काँटे भी असावधानीवश उग आते हैं। हमारा अच्छा दृष्टिकोण सोचने, विचारने कार्य करने का होगा। इसीलिए इस मन को कल्पवृक्ष कहा गया है। इसे कामधेनु भी कहा जाता है। इससे दृढ़ता पूर्वक, पूर्ण आत्म-विश्वास के साथ जिस वस्तु की माँग करेंगे, उसी को ला उपस्थित कर देगा। इससे माँगने की कला सीखें।


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