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January 1972

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अमृत भी-उसमें जहर पड़ने से जहर बन जाता है।

यह घटना उसी का प्रमाण थी। कई दिन लोगों ने बरसात के स्टोर किये जल का शर्बत के रूप में प्रयोग किया। नापाकाउन्टी के वैज्ञानिकों ने उस जल के परीक्षण किये। कई लोगों ने घरों में जल को सुखाया और उसमें घुली हुई मिश्री को अलग किया। बरसात के साथ घुली हुई इस मिश्री को जब स्टोरों में जमा मिश्री के साथ रासायनिक तुलना की गई तो पाया गया कि दोनों के कण एक ही तरह के हैं, मिठास एक ही तरह का है।

बरसात में यह मिश्री कहाँ से आई वैज्ञानिक इस बात का आज तक कोई उत्तर नहीं दे सके जबकि वे इस बात को मानते हैं कि गन्ने के रूप में खेतों से मिलने वाली शक्कर के कण मिट्टी में नहीं आकाश में ही हैं।


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