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January 1972

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बुद्धिमता इसी में है कि हम उस खुदा की बातें कम करें, जिसे हम समझ नहीं सकते, उन इन्सानों की बातें अधिक करें जो हमारे निकटतम हैं तथा जिन्हें हम समझ सकते हैं।

-खलील जिब्रान

स्पेन से छपने वाले - साइन्स वेस्ट मिनिस्टर के 1926 के एक अंक में भी इसी तरह जी0 वेजीलेटिन नामक भविष्यवक्ता का लेख छपा था जिसमें बताया गया था-56 वर्ष बाद वायुमण्डल की जीवनदायी गैसें विषाक्त हो जायेंगी तब प्रकृति का उग्रतम रूप देखने को मिलेगा यह उग्रता सन् 71 से 81 तक क्रमशः बढ़ती चली जायेगी। प्रकृति का इतना भयंकर कोप मनुष्य ने पहले कभी नहीं देखा होगा। उसमें अतिवृष्टि और अनावृष्टि से लेकर उल्कापात तथा ज्वालामुखी के विस्फोट से लेकर चुम्बकीय तूफानों के कारण समुद्री प्रलय तक के भीषण दृश्य दिखाई देंगे। कई स्थानों पर पृथ्वी फट सकती है। समुद्र के कई टापू निकलेंगे। मित्र जैसे लगने वाले अनेक देशों में युद्ध होगा। एक बार तो सारे संसार की स्थिति प्रलय जैसी हो जायेगी-उसके बाद एक नई सभ्यता और संस्कृति का उदय होगा जो पूर्व के देश (भारतवर्ष) की होगी। उससे ही वायुमण्डल शुद्ध होगा, बीमारियाँ दूर होंगी आपसी कलह शान्त होंगे और संसार में फिर से अमन चैन कायम होगा। लोग भाई-भाई की तरह प्रेमपूर्वक रहने लगेंगे।

संसार के अन्य भविष्यदर्शियों की भाँति ही श्री जी0 वेजीलेटिन ने भी यह स्वीकार किया है कि 1930 से सन् 2000 तक का समय ही विश्व के नये उद्धारक का कार्यकाल होगा। शरीर में होते हुये भी उसकी विचार शक्ति इतनी तीक्ष्ण होगी कि दुनिया के तीन चौथाई नास्तिकों को तो वह अपने जीवनकाल में ही बदल देगा। उसके सहायक के रूप में न केवल उसके देशवासी अपितु सारे संसार के लोग शरीर धन, परिवार सब का मोह त्याग कर कूद पड़ेंगे। भीतर ही भीतर दीर्घकाल तक सुलगने वाली उसकी क्रान्ति के सम्मुख संसार के बुद्धिमान से भी बुद्धिमान व्यक्ति हतप्रभ हो जायेंगे।

संसार की तेजी से बदलती हुई परिस्थितियाँ यह बताती हैं। ऊपर के भविष्य वक्ताओं ने महासंग्राम और नई सभ्यता की पुनर्स्थापना का जो समय दिया है वह अब लगभग समीप आ गया है। इन संकेतों को समझा जाना चाहिये और अपना जातीय गौरव स्थापित करने वाली अपनी संस्कृति के स्वागत की तैयारी करनी चाहिये।


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