जीवात्मा का कल्याण कर

March 1971

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मनुष्य अपनी छाया को देखकर उसे पकड़ने दौड़ा छाया भी उतने वेग से भागी मनुष्य उसे पकड़ न सका।

आकाश से आवाज आई। मूर्ख ! माया आज तक किसी ने पकड़ पाई है ? तू इस भ्रम के पीछे मत दौड़, प्रकाश की और जीवात्मा का कल्याण कर।

मनुष्य लौट पड़ा प्रकाश की ओर, प्रकाशपुंज ज्यों-ज्यों पास आता गया छाया पुरुष के पीछे-पीछे भागती आई और प्रकाश की प्राप्ति के साथ वह भी मनुष्य में समा गई।


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