मनुष्य स्वयं देवता है, उसकी पूजा की जानी चाहिये, अन्तःकरण में सोया देवत्व जगाया जाना चाहिये। -स्वामी विवेकानंद
हिरण गाने से, हाथी हस्तिनि से, पतंग दीपक से, भ्रमर गंध से, और मछलियाँ जीभ के स्वाद से मोहित होकर अपने प्राण खो देती हैं। फिर जिन्हें पाँच इन्द्रियाँ हैं और जो सभी विषयों की आसक्ति में फंसते हैं तो उनको मृत्यु क्यों छोड़ेगी ?