आत्म-ज्ञान के बिना अभाव दूर नहीं हो सकते

June 1971

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एक मनुष्य घोड़े पर बैठकर कहीं दूर जा रहा था। रास्ते में घोड़े को पानी पिलाने के लिये रहट चल रही थी। वह वहाँ पहुँचा। पानी के पास पहुँचकर घोड़े ने रहट की विचित्र आवाज सुनी, जिससे वह भड़क उठा। घोड़े वाले ने कहा- ‘भाई जरा आवाज बन्द कर दो तो इसे पानी पिला दें रहट बन्द कर दिया गया लेकिन अब पानी नहीं था। अब घोड़े वाले ने कहा-’अरे भले मानुस! मैंने आवाज बन्द करने को कहा था, पानी बन्द करने नहीं।’ किसान ने कहा-यदि तुम्हें घोड़े को पानी पिलाना हो तो मजबूती से पकड़े रखो। क्योंकि पानी आयेगा तो आवाज होगी ही। घोड़े वाले ने वैसा ही किया  ओर घोड़े ने पानी पीया। लोग बिल्कुल निरुपाधि भाव से भजन करना माँगते हैं। यह माँग तो उसी घोड़े वाले के समान है। क्योंकि मन घोड़े जैसा है। उपाधि छोड़ने का उपाय करोगे तो यह उत्पात मचायेगा। इसलिए उपाधियों पर ध्यान न देकर मन रूपी घोड़े की लगाम को मजबूती से पकड़ो और युक्तियों से उसे वश में करके आत्म-साक्षात्कार करो।

आत्म-ज्ञान के बिना अभाव दूर नहीं हो सकते, आत्म ज्ञानी को कोई अभाव नहीं होते।

-स्वामी रामतीर्थ


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