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Akhand Jyoti
Year 1971
Version 2
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June 1971
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सारी दुनिया का ज्ञान प्राप्त करके भी जो स्वयं को नहीं जानता उसका सारा ज्ञान ही निरर्थक है।
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Page Titles
सेवा से सत्य-प्राप्ति
बैडूर्य कमी कांच नहीं हो सकता
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कला और संस्कृति की मूल प्रेरणा-प्रेम
प्रेम का प्रताप
अद्भुतः अश्रुतोऽहम्- “मैं अद्भुत हूँ-अश्रुत हूँ”
परमेश्वर एक ही है
पदार्थ और चेतना-दो भिन्न अस्तित्व
आत्म-ज्ञान के बिना अभाव दूर नहीं हो सकते
उपासना में संयम के चमत्कार
निदक नियरे राखिये
वैराग्य से सत्य सिद्धि
स्वप्न द्वारा मन का आत्मा से मेल-मिलाप
बाल्यावस्था की नींद वृद्धावस्था में टूटी
नाभि में बैठा हुआ सूर्य
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आत्म एवं सनातनो
सेठ का अभिमान
हम निकृष्ट स्तर का जीवन न जिएं
शराब जितना आप जानते हैं उससे भी खराब
शाह वजिद्दौला
भूत की मान्यता निराधार भी साधारण भी-
तुलसी भूर्महादेवी-अमृतत्वप्रदायिनी
पुरुषार्थ और परिश्रम ही सजीवता का चिन्ह है।
काम करने से आदमी छोटा नहीं बनता
छूत अछूत का भेद
जल उठ रहीं आग की लपट
परमार्थ से बढ़कर यज्ञ नहीं
भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिणौ
क्रान्ति विश्वव्यापी होगी-होगी किन्तु बौद्धिक
भविष्य को ध्यान में रखकर विचार करना
फिर न भटकना पड़े इतर मानव योनियों में
जीभ के समान सरल और कोमल बनो
धन नहीं धन का संग्रह पाप
सुख शान्ति के स्वर्ण सूत्र
जब कामना करें तभी वर्षा हो
कुछ नोट कर लेने योग्य सूचनाएं
अपनों से अपनी बात
VigyapanSuchana
भगीरथ सुरसरि लाने चले (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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