शाह वजिद्दौला को शराब पीने की बुरी लत थी। जिससे वह असाध्य रोग से ग्रसित हो गया। हकीम ने दवा दी और कहा कि दवा प्रातः चार बजे नियमित रूप से खाई जाये और शराब पीने से परहेज रखा जाये। हकीम के जाने के बाद नवाब ने पहरेदार को बुलाया और कहा-सवेरे चार बजे घण्टा लगाने के बाद मुझे जगाने की जिम्मेदारी तुम पर है। यह कहकर नवाब ने शराब पी और सो गया।
नींद ठीक नौ बजे सबेरे टूटी तो नवाब ने गुस्से में भर कर सन्तरी को बुलाया और कड़क कर पूछा- तुमने मुझे चार बजे जगाया क्यों नहीं ? सन्तरी ने कहा हुजूरे आला-मैंने तो आपको कई बार जगाया पर आप खुद ही सोये रहे।
अच्छा यह बात है नर्म होकर नवाब ने आदेश दिया-जाओ फिर से चार बजने का घण्टा बजाओ। सन्तरी ने हुक्म का पालन किया। घण्टा सुनते ही नवाब ने दवा खाई और भरी धूप में घूमने चल पड़े। सन्तरी उसकी मूर्खता देखकर मुस्करा कर रह गया।