कुछ नोट कर लेने योग्य सूचनाएं

June 1971

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

विश्व मानव का भावनात्मक नव-निर्माण करने के लिये हममें से प्रत्येक जीवित और जागृत आत्मा को कुछ न कुछ योग किसी न किसी रूप में प्रस्तुत करना ही चाहिये। निशा का अवसान और प्रकाश पुंज का उदय अब सन्निकट है इस ब्रह्म मुहूर्त में हमारी भावनात्मक श्रद्धाँजलि का अर्घ समर्पित होना ही चाहिये। मात्र दर्शक बनकर इस घड़ी में हम अवसाद ग्रस्त और अकर्मण्य ही बने रहे तो कल हमारी यह कृपणता शूलती और हूलती ही दुःख देती रहेगी।

इस पुण्य वेला में हम अपनी पुण्य तपश्चर्या के लिये चल पड़े पर आशा यह भी संजोये है कि नव-निर्माण के महान पथ पर हमारे साथ स्वजनों के भी कुछ कदम तो उठेंगे ही सम्भव हो तो आज की निम्नलिखित समय की पुकार पर विचार करें और बन पड़े तो इसकी पूर्ति के लिये कुछ न कुछ कर सकने का साहस जुटा ही डालें।

(1) युग-निर्माण योजना के सक्रिय सदस्य के लिये एक घण्टा समय और दस पैसा नित्य ज्ञान-यज्ञ के लिये लगाते रहने का अनुबन्ध यदि आपने अभी तक नियमित रूप से पालन करने का क्रम नहीं बनाया है तो उसे आज से ही तत्परता पूर्वक आरम्भ कर दें।

(2) अपने प्रत्येक परिजन को हमने 17,18,19,20 जून के विदाई समारोह में भावना पूर्वक बुलाया हैं। यदि आप हमारे साथ सचमुच घनिष्ठता अनुभव करते हों तो उस अवसर पर आने का प्रयत्न करें। वे चार दिन आपके जीवन की अविस्मरणीय घटना बनकर रहेगी।

(3) अगले वर्ष 240 ऐसे युग-निर्माण सम्मेलन किये जाने थे जिनके साथ पांच कुण्डी या 9 कुण्डी यज्ञ भी जुड़े हुए हो। हमारे चले जाने से संगठन में निरुत्साह पैदा न होने पावे और अभीष्ट प्रक्रिया अधिक उत्साह पूर्वक चलती रहे, इस दृष्टि से भी यह आयोजन आवश्यक समझे गये। इस प्रस्ताव का जैसा स्वागत हुआ है उससे प्रतीत होता है कि सितम्बर 71 से जून 72 तक 9 महीने की अवधि में 1000 आयोजन हो सकेंगे। कम से कम एक आयोजन आपके प्रयत्न और पुरुषार्थ से सम्भव हो सके ऐसा प्रयत्न कीजिये।

(4) जिनका गला मीठा और तीखा है जिन्हें गाने और बजाने में रुचि है उन्हें जन-जागृति के लिये अपनी इस अभिरुचि का प्रयोग विशेष रूप से करने का साहस करना चाहिये। ऐसे लोग अधिक शिक्षण प्राप्त करने तथा प्रचर प्रयोजन में संलग्न होने की इच्छा हो तो गायत्री तपोभूमि मथुरा के पते पर अपनी योग्यता अभिरुचि एवं परिस्थिति की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करते हुए पत्र व्यवहार करलें।

(5) युग-निर्माण विद्यालय (गायत्री तपोभूमि मथुरा) का एक वर्षीय शिक्षा क्रम 1 जुलाई से आरम्भ होगा। जीवन जीन की कला के साथ-साथ औद्योगिक शिक्षण भी उसके साथ जुड़ा है। (अ) विद्युत् विभाग- बिजली का फिटिंग, बिजली के यंत्रों की मरम्मत, रेडियो, ट्राँजिस्टर बनाना (ब) प्रेस विभाग- प्रेस व्यवसाय से सम्बन्धित आवश्यक क्रिया-कलाप का शिक्षण (स) गृह-उद्योग-साबुन, मोमबत्ती, खिलौने बुनाई, घरेलू वाटिका, रंगाई, धुलाई, मकान, वस्त्र फर्नीचर आदि की मरम्मत, फस्ट एड शस्त्र संचालन शिक्षण आदि (द) कला भारती- गायन, वाद्य, अभिनय, प्रकाश चित्र, भाषण, धार्मिक कर्मकाण्ड इन चार विषयों का भी समावेश है। 14 वर्ष से अधिक आयु के तथा कक्षा 8 से अधिक पढ़े छात्र ही लिये जाते हैं। जो छात्र प्रवेश पाना चाहें जल्दी ही नियम फार्म एवं आवेदन पत्र आदि मंगालें।

(6) युग-निर्माण योजना तथा अखण्ड-ज्योति का सम्मिश्रित एक एक मासिक पत्र अन्य भाषाओं में भी छपने लगा है। गुजराती, मराठी, उड़िया, अंग्रेजी में प्रकाशित होने लगा है। बंगला, तमिल आदि अन्य भाषाओं में छपने की भी तैयारी है। आपको अपने क्षेत्र में जिस भाषा का क्षेत्र हो उसमें उस भाषा की पत्रिका का प्रसार करना चाहिये ताकि अन्य भाषाओं में भी नव-निर्माण का प्रकाश फैले। इन भाषाओं में अपना साहित्य भी अनुवादित प्रकाशित होने वाला है जिनको उपरोक्त भाषाओं में अनुवाद की अच्छी योग्यता है वे अपना योगदान देने के लिये पत्र व्यवहार करलें।

(7) ऐसी व्यापारिक संस्थाओं की लिमिटेड कम्पनी आदि के रूप में आवश्यकता अनुभव की जा रही है जो (1) कैलेंडर तथा चित्र प्रकाशन, (2) बड़े पैमाने पर ग्रामोफोन रिकार्डों का निर्माण, (3) धार्मिक एवं ऐतिहासिक कथाओं को परिष्कृत करके उनके आधार पर बौद्धिक क्राँति, नैतिक क्राँति एवं सामाजिक क्राँति कर सकने की प्रेरणा से भरे फिल्मों का लगातार निर्माण। (4) छोटी नाटक मंडलियां जो आदर्शवादिता को लेकर आगे बढ़े। ऐसी योजना चला सकने से पूंजी की सुरक्षा, धन लगाने वालों को ब्याज का लाभ होने के साथ-साथ जन-जागृति का अति महत्व पूर्ण प्रयोजन भी सिद्ध हो सकता है। जिन्हें ऐसे व्यापार संस्थान चलाने, पूंजी जुटाने आदि का अनुभव हो व इस दिशा में उत्साह पूर्वक कदम बढ़ावें। उन्हें सुलता का पथ-प्रशस्त करने वाला प्रकाश उपलब्ध रहेगा।

(8) सितम्बर 71 से लेकर जून 72 तक के 9 महीने युग-निर्माण आन्दोलन की विविध विधि व्यवस्थाओं एवं योजनाओं के माध्यम से देश-व्यापी बनाये जाने का समय है। इस अवधि में हर प्रतिभाशाली एवं भाव सम्पन्न परिजन को जितना सम्भव हो अधिक से अधिक समय देने का अनुरोध है। छुट्टियां लेकर अथवा जैसे भी हो हममें से प्रत्येक कुछ समय दे और अपनी योग्यता अभिरुचि का विस्तृत विवरण लिखे ताकि उस समय का समुचित उपयोग किया जा सके।

(9) प्रचार जीपें खरीदने संगीत वाद्य आदि के यन्त्र उपलब्ध करने, प्रचार साधन विकसित करने, प्रकाशन की व्यवस्था बढ़ाने, विद्यालय का विस्तार करने आदि प्रयोजनों के लिये गायत्री तपोभूमि को आर्थिक साधनों की भारी कमी अनुमान होती है। जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो वे इस अभाव की पूर्ति में कुछ योगदान कर सकते हैं। महीने में एक दिन की आमदनी देकर तो निर्धन व्यक्ति भी कुछ न कुछ सहारा दे सकते हैं। यह उदार प्रवृत्ति पनपनी ही चाहिये।

(10) 1 जुलाई से जीवन निर्माण एवं समाज निर्माण के छह छह महीन वाले पाठ्य-क्रम चल पड़ेंगे। रात्रि पाठशालाओं एवं अपराह्न शालाओं के रूप में यह शिक्षण क्रम सर्वत्र चलाया जाना चाहिये। पाठ्य पुस्तकें तैयार है।

(11) युग-निर्माण योजना का संगठन तथा क्रिया-कलाप देश-व्यापी ही नहीं विश्व-व्यापी भी बनता जा रहा है। उसके द्वारा प्रचारात्मक संगठनात्मक, रचनात्मक एवं संघर्षात्मक कार्य इतने अधिक परिमाण में है रहे है कि इस महा अभिमान को इस युग का लोक शक्ति जगाने वाला सबसे बड़ा अभियान कहा जाय तो कुछ अत्युक्ति न होगी। पर आन्दोलन का स्वरूप एवं क्रिया-कलाप प्रकाशित न होने में जन-साधारण को उसकी गतिविधियां अविज्ञात ही है। अब निश्चय किया गया है कि योजना की कार्य-पद्धति से सर्व साधारण को परिचित करने तथा शाखाओं एवं कार्यकर्ताओं का मार्ग दर्शन करने के लिये एक समाचार पाक्षिक पत्र निकाला जाय अगले महीने से ही युग-निर्माण योजना के साथ समाचार प्रधान पाक्षिक भी निकालना आरम्भ कर रहे है। उसको नाम पाक्षिक युग-निर्माण योजना होगा। वार्षिक चन्दा (7) वार्षिक होगा। शाखाएं तथा सक्रिय कार्यकर्ता उनका चन्दा भेजकर मंगाना आरम्भ करदे। मासिक मासिक युग-निर्माण योजना अपने वर्तमान कलेवर में यथावत निकलती रहेगी।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118