भगवान सबको देखता है

July 1970

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भगवान सबको देखता है-

एक बार एक भला आदमी बेकारी से दुःखी था। उसकी यह दशा देखकर एक चोर को सहानुभूति उपजी। उसने कहा- ‘मेरे साथ चला करो, चोरी में बहुत धन मिला करेगा।’ वह बेकार आदमी तैयार हो गया। पर उसे चोरी आती न थी। उसने साथी से कहा मुझे चोरी आती तो है नहीं, करूंगा कैसे? चोर ने कहा इसकी चिन्ता न करो मैं सब सिखा लूँगा। दोनों एक किसान का पका हुआ खेत काटने गये। वह खेत गाँव से कुछ दूर जंगल में था। वैसे तो रात में उधर कोई रखवाली नहीं थी। तो भी चोर ने उस नये साथी को खेत की मेंड़ पर खड़ा कर दिया कि वह निगरानी करता रहे कि कहीं कोई देखता तो नहीं है। वह खुद खेत काटने लग गया।

नये चोर ने थोड़ी ही देर में आवाज लगाई कि- ‘भाई जल्दी उठो, यहाँ से भाग चलो,खेत का मालिक पास ही खड़ा देख रहा है, मैं तो भागता हूँ।’ चोर काटना छोड़कर उठ खड़ा हुआ और वह भी भागने लगा। कुछ दूर जाकर दोनों खड़े हुये तो चोर ने साथी से पूछा-मालिक कहाँ था? कैसे देख रहा था? उसने कहा-ईश्वर सबका मालिक है। इस संसार में जो कुछ है, उसी का है। वह हर जगह मौजूद है और सब कुछ देखता है। मेरी आत्मा ने कहा-ईश्वर यहाँ भी मौजूद है और हमारी चोरी को देख रहा है। ऐसी दशा में हमारा भागना ही उचित था।

पहले चोर पर इसका कुछ ऐसा प्रभाव पड़ा कि उसने हमेशा के लिये चोरी छोड़ दी।


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