परिश्रमशील मैक्सीकॉज कबीला

July 1970

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मैक्सिको नगर जहाँ विश्व के ओलम्पिक खेले जाते हैं, वहाँ कभी सुनसान और पत्थरों के अतिरिक्त कुछ न था। यहाँ मैक्सीकॉज नामक कबीला परिवार रहता था, उसे एक अन्य कबीलों के दल ने अपना गुलाम बना रखा था। मैक्सीकॉज बड़े कष्ट झेल रहे थे। ऐसी ही अवस्था में एक दिन उनका सरदार मर गया। मरते समय उसने कहा- परिश्रम करना, परिश्रम से ही कष्ट दूर होंगे।

बहुत दिन बाद एक दिन भूखा-प्यासा कबीला परिवार शोक सागर में डूबा बैठा था तभी उन्होंने देखा कि पत्थरों के बीच एक नागफनी उग आई है। पत्थरों के बीच नागफनी, कठिनाई में विकास- फिर थोड़ी ही देर में एक बाज उड़ता हुआ आया और उसके ऊपर बैठ गया वह बड़ी देर तक बैठा ही रहा। कबीले की एक समझदार स्त्री ने कहा- बाज का सन्देश मेरे पास आ रहा है कि तुम परिश्रम करके यहाँ एक नगर बसाओ तुम्हारे कष्ट दूर होंगे।

कहते हैं उसी दिन मैक्सीकॉज की नींव पड़ी। मैक्सिको ने अथक परिश्रम करके यह नगर बसाया और अन्य कबीलों को जीत कर स्वस्थ राज्य की परम्परा डाली। इस घटना की याद में आज भी मैक्सिकन झंडे में नागफनी पर बैठे बाज का चित्र प्रयुक्त होता है।


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