महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था, नरमुण्डों के ढेर पड़े थे। उन्हें खाने के लिये सैकड़ों कुत्ते, सियार और भेड़िये लपके चले आ रहे थे। महर्षि उत्तंक अपने शिष्यों के साथ उधर से निकले तो यह दृश्य देखकर उन्हें हँसी आ गई।
शिष्यों ने पूछा- भगवन् इस दुःखद प्रसंग पर आपको हँसी क्यों आई, उत्तर देते हुए उत्तंक ने कहा-बच्चों! जिन शरीर के लिये यह युद्ध लड़ा गया उनकी यह दशा है कि सियार नोंच रहे हैं। यदि इतना ही ध्यान आत्मा का रखा गया होता तो यह वीभत्स परिस्थिति क्यों आती।