अपनी अन्ध परम्परायें बदल दें तो हमारी शक्ति और सामर्थ्य का ठिकाना न रहे।
-विवेकानन्द
काम एक शक्ति है, तुम चाहो तो उसे ऊर्ध्वगामी बनाकर जीवन को उल्लास से भर लो।
-महर्षि दयानन्द
काम एक शक्तिशाली आवेग है, जिसे खुला छोड़ देने पर मनुष्य अपने जीवन उद्देश्य से गिर जाता है।
-एमर्सन