सन्त बोनीफेस ने आजीवन औरों की सेवा की, पर कभी किसी से कुछ माँगा नहीं, भले ही उन्हें दिन का उपवास ही क्यों न करना पड़ा हो।
एक बार उन्हें कई दिन तक कुछ खाने को न मिला। एक स्त्री दूध निकाल रही थी। उन्हें ऐसा लगा कि अपने भीतर न माँगने का व्यवहार उठ रहा है, सो उन्होंने तुरन्त ही उस स्त्री से थोड़ा दूध माँगा। उसके पति ने बीच में ही रोककर दूध देने से इनकार कर दिया। सन्त बिना किसी दुर्भाव से आगे बढ़े, पर भूख सहन न करने के कारण जमीन पर गिर पड़े। वहीं एक निर्झर फूट पड़ा। जो आज भी बोनीफेस निर्झर के नाम से विख्यात है।