आप तो सदैव एक ही स्वर में गाती हैं

December 1970

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“आप तो सदैव एक ही स्वर में गाती हैं”-कौए ने कोयल से उलाहना देते हुए कहा-कभी-कभी दूसरे राग भी बदल कर सुनाया करें।

कोयल हँसी और बोली-जानते नहीं लोगों को परिवर्तनशील होना चाहिये। काकभुशुंडिजी रूढ़ियों और अन्ध परम्पराओं का बदल जाना तो समझ में आता है पर जीवन के यथार्थ सिद्धान्त बदलने की बात तो आपके मुँह से ही सुनी है।


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