प्रकृति परमात्मा की इच्छा-शक्ति का अभिव्यक्ति रूप है।
मनुष्य के तमाम पाप और उसकी तमाम भूलों का सुधार प्रकृति एक माता की तरह रमण करती है इसलिये वह उपाय है उपभोग नहीं।