गौतमी नामक स्त्री का इकलौता पुत्र मर गया। वह शोक-संतप्त भगवान बुद्ध के पास आई और उसे जिन्दा करने को कहने लगी। भगवान बुद्ध ने उससे परसों के कुछ दाने, उस घर से लाने को कहा जहाँ कोई भी न मरा हो वह गाँव में गई परन्तु ऐसा घर कोई न मिला।
उस दिन से गौतमी ने मृत्यु के दुःख का परित्याग कर दिया और अमर आत्मा के कल्याण की साधना में जुट गई।