मान्यता अपनी-अपनी

April 1969

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किसी अरब व्यापारी को पता चला कि इथियोपिया के लोगों के पास चाँदी बहुत अधिक है। उसे वहाँ जाकर व्यापार करने की सूझी और एक दिन सैकड़ों ऊँट प्याज लादकर वह इथियोपिया के लिये चल भी पड़ा।

इथियोपिया-वासियों ने पहले कभी प्याज नहीं खाया था। प्याज खाकर वे बहुत प्रसन्न हुये। उन्होंने सब प्याज खरीद लिया और उसके बराबर सोना, चाँदी तौल दिया। व्यापारी बहुत प्रसन्न हुआ। धनवान् बनकर देश लौटा।

एक दूसरे व्यापारी को इसका पता चला तो उसने भी इथियोपिया जाने की ठानी। उसने प्यास से भी अच्छी वस्तु लहसुन लादी और इथियोपिया जा पहुँचा। वहाँ के लोगों ने लहसुन चखा तो प्रसन्नता से नाच उठे। सारा लहसुन उन्होंने ले लिया पर बदले में दें क्या, यह प्रश्न उठा। उनने देखा चाँदी तो बहुत है पर सोने से भी अच्छी वस्तु उनके पास प्याज है, इसलिये प्याज से दूसरे व्यापारी की बोरिया लाद दीं।

व्यापारी खीझ उठा पर बेचारा करता क्या, चुपचाप प्याज लेकर घर लौट आया। बेचारा व्यापारी समझ नहीं पा रहा था कि अमूल्यता की कसौटी क्या है? उसे लगा यह सब अपने-अपने मन की मान्यताओं और प्रसन्नता के खेल हैं। सत्य तो कुछ और ही है, जिसे मनुष्य नहीं समझ पा रहा।


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