स्वामी विवेकानन्द

April 1969

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स्वामी विवेकानन्द एक बार अमेरिका की एक सड़क से गुजर रहे थे। स्वामी जी गेरुआ वस्त्र धारण किये हुए थे। उनकी विचित्र वेष भूषा देखकर लोगों ने समझा यह कोई मूर्ख है। उनके पीछे हँसी मजाक बनाती, करती हुई काफी भीड़ चल पड़ी। स्वामी जी थोड़ा चलकर रुके और भीड़ की आरे देखते हुए बोले -”सज्जनों, आपके देश में सभ्यता की कसौटी पोशाक है पर मैं जिस देश में आया हूँ, वहाँ कपड़ों से नहीं, मनुष्य की पहचान उसके चरित्र से होती है।” स्वामी जी के तेजस्वी वचन सुनकर सारी भीड़ स्तब्ध रह गई। स्वामी जी सहज भाव से आगे बढ़ गये।


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