पाण्डव वन में थे। एक दिन उन्हें बहुत जोरों की प्यास लगी। सहदेव पानी की तलाश में भेजे गये। शीघ्र ही उन्होंने एक सरोवर खोज लिया पर अभी पानी पीने को ही थे, किसी यक्ष की आवाज आई-मेरे प्रश्नों का उत्तर दिये बिना पानी पिया तो अच्छा न होगा?”
सहदेव प्यासे थे। आवाज की ओर ध्यान न देकर पानी पी लिया और वहीं मूर्छित होकर गिर पड़े। भीम और अर्जुन भी आये और मूर्छित होकर गिर गये। अन्त में धर्मराज युधिष्ठिर पहुँचे। यक्ष ने उनसे भी यही बात कही।
युधिष्ठिर ने कहा-देव! बिना विचारे काम करने वाले अपने भाइयों की स्थिती मैं देख रहा हूँ। आपके प्रश्न का उत्तर दिये बिना पानी ग्रहण न करूँगा प्रश्न पूछिए
यक्ष ने पूछा-किमार्श्चयमू संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?”
युधिष्ठिर ने उत्तर दिया-देव! एक-एक व्यक्ति करके सारा संसार मृत्यु के मुख में समाता जा रहा है, फिर भी जो जीवित हैं, वे सोचते हैं, वे कभी न मरेंगे, इससे बढ़कर आश्चर्य और क्या हो सकता है।” यज्ञ बहुत प्रसन्न हुए और पानी पीने की आज्ञा दे दी। चारों भाइयों को भी जिला दिया।