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January 1967

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व्यक्तित्व की महिमा समझिए-

समाज में एक सुखपूर्ण सम्मानित स्थिति प्राप्त करने की कामना सभी में रहती है और इसकी तैयारी के लिए लोग धन, बल, विद्या और सहयोगियों का संग्रह भी करते हैं। किन्तु इस संग्रह के लिए लोग किस-किस प्रकार के साधन उपयोग में लाते हैं इसका विचार नहीं करते, जिसका परिणाम यह होता है कि उनका वास्तविक व्यक्तित्व विकृत हो जाता है, जिससे यदि वे वाँछित स्थिति प्राप्त भी कर लेते हैं तो भी एक प्रकार से हास्यप्रद ही बने रहते हैं।

किसी उन्नत दशा को प्राप्त करने के लिए व्यक्तित्व का विकास सबसे समीचीन साधन है। यदि मनुष्य अपने गुण-कर्म-स्वभाव में उदात्तता का समावेश कर अपने व्यक्तित्व को विकसित कर ले तो समुन्नत स्थिति पाने के लिये किन्हीं अन्य साधनों की आवश्यकता ही न रहे। संसार के सारे साधन व्यक्तित्व के अधीन रहते हैं, पर व्यक्ति बाह्य साधनों के अधीन नहीं रहता। व्यक्तित्वरहित प्राणी कोई उन्नत दशा प्राप्त करने पर भी वह अपेक्षित सुख-शाँति नहीं पाता जो उसे प्राप्त होनी चाहिए।-रोम्या रोलाँ


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