अखण्ड-ज्योति परिजनों के लिए पाँच आवश्यक सूचनाएं

October 1964

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कार्तिक मास का गीता शिविर

कार्तिक का गीता शिविर उन सब स्वजनों के लिए आवश्यक है जो लोक सेवा के क्षेत्र में उतर कर जनजागृति के लिए ठोस कार्य करना चाहते हैं। आगे परिवार में सर्वत्र भागवत सप्ताहों की तरह गीता सप्ताहों की शृंखला चलाई जाने वाली है। शाखाएं अपना वार्षिकोत्सव उसी आधार पर किया करेंगी। इसके लिए युगनिर्माण की विचारधारा एवं कार्य पद्धति से परिचित प्रशिक्षित प्रचारकों की आवश्यकता पड़ेगी। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए इन शिविरों में सम्मिलित होना आवश्यक है। आत्म-कल्याण की दृष्टि से यह शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है। स्थानीय संगठन एवं रचनात्मक कार्यों के लिए इसकी भारी उपयोगिता है। जो लोग आजीविका की कठिनाई के कारण योग्यता रहते हुए भी बाहर भ्रमण करते हुए लोक-निर्माण करने में असमर्थ रहते हैं उनके लिए भी एक उत्तम हल इस माध्यम से हो सकता है।

जन-जागृति के महान अभियान में सक्रिय भाग लेने के इच्छुक प्रत्येक परिजन को कार्तिक मास में (ता0 21 अक्टूबर से 19 नवम्बर तक) होने वाले गीता शिविर में सम्मिलित होने के लिए इन पंक्तियों द्वारा आमंत्रित किया जाता है। शिक्षार्थियों को अपने भोजन व्यय तथा मार्ग व्यय का प्रबंध स्वयं करके आना चाहिए।

युग-निर्माण पत्रिका की आवश्यकता

अखण्ड-ज्योति जिस विचारधारा का प्रतिपादन सैद्धान्तिक रूप से करती है, उसका व्यावहारिक स्वरूप क्या हो सकता है, इसका क्रियात्मक मार्ग दर्शन करने के लिए ‘युगनिर्माण’ पाक्षिक पत्रिका निकाली गई है। परिवार के प्रत्येक सदस्य को यह दोनों ही पढ़नी चाहिएं ताकि अध्यात्मवाद के सैद्धान्तिक और व्यावहारिक दोनों ही पक्ष समझने की आवश्यकता पूरी हो सके। एकांगी शिक्षण अधूरा रह जाता है। परिवार के सक्रिय कार्यकर्ताओं के लिए तो यह एक अनिवार्य आवश्यकता है। वे युग निर्माण की दिशा में कुछ सक्रिय कदम इस माध्यम से उठा सकेंगे। अस्तु युग-निर्माण पत्रिका प्रत्येक परिजन को पढ़नी ही चाहिए । कई सदस्य मिलकर भी उसका वार्षिक चंदा 6)भेज सकते हैं।

नवरात्रि में उपासना तथा आयोजन

आश्विन मास की नवरात्रियाँ ता0 6 अक्टूबर मंगलवार से आरंभ होकर ता0 14 अक्टूबर बुधवार को पूर्ण होंगी । गायत्री उपासना के लिए यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण है। जिनसे बन पड़े, वे इन दिनों 24 हजार का लघु अनुष्ठान करने का प्रयत्न करें। अन्यथा कुछ तो उपासना बढ़ा ही देनी चाहिए। जो बिलकुल न करते हों, वे इन 9 दिनों प्रतिदिन 12 माला तो जपने का प्रयत्न कर ही देखें। प्रयोग की दृष्टि से भी यदि इतना किया जा सके तो उससे भी आत्मिक प्रगति में योग दान मिलेगा। अनुष्ठान से रहने वाली त्रुटियों का दोष परिमार्जन और संरक्षण किया जाता रहेगा जो अपने संकल्प की सूचना समय पर भेज देंगे।

नवरात्रि के अन्त में जहाँ जो सामूहिक आयोजन हों, उनका समाचार ‘युग-निर्माण’ पत्रिका में छपने भेज देना चाहिए। सामूहिक आयोजनों से जन-जागृति में बड़ी सहायता मिलती है, इसलिए यथा संभव छोटे बड़े आयोजन इस अवसर पर सर्वत्र ही किये जाने चाहिएं।

छः महीने के लिए ग्राहक

इन दिनों अखण्ड-ज्योति के जो नये ग्राहक बन रहे हैं, उन्हें छह महीने के लिए जुलाई से दिसम्बर तक के लिए ही बनाया जा रहा है। अस्तु छह महीने का चंदा 2) ही भेजना चाहिए। यों नियमानुसार एक वर्ष से कम के ग्राहक नहीं बनायें जाते, पर बीच में ग्राहक नहीं बनायें जाने पर बीच में ग्राहक बनने से नये वर्ष का हिसाब रखने में जो असुविधा होती है उसे देखते हुए इस वर्ष यह विशेष व्यवस्था की गई है।

दस-दस सदस्यों के संगठन

अखण्ड-ज्योति परिवार के सब सदस्यों को दस-दस सदस्यों के छोटे-छोटे संगठनों में संगठित कर देने का जो क्रम चलाया गया है, वह बहुत ही उपयोगी एवं आवश्यक है। प्रसन्नता की बात है कि सभी जगह उत्साही सदस्यों यह संगठन कार्य आरंभ कर दिया है । जहाँ अभी उस ओर ध्यान नहीं दिया गया है वहाँ तुरन्त ही अपना संगठन पूरा कर लिया जाना चाहिए।


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