काला कौआ

October 1964

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

काला कौआ रोज जल्दी ही छत की मुँडेर पर आ बैठता और काँव-काँव करता रहता।

छोटे बालक ने माता ने पूछा—यह काला क्यों है और इतनी जल्दी घर-घर क्या कहने जाया करता है ?

माँ ने कहा—भक्ष-अभक्ष का विचार किए बिना यह पक्षी सब कुछ खाता है इससे इसे काला बनना पड़ा। जो बिना उचित अनुचित विचारे स्वार्थ में सब कुछ करते रहते हैं उनका मुँह भी काला होगा, यही शिक्षा देने कौआ घर-घर जाया करता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles