गायत्री मंत्र व मेरा अनुभव।

July 1948

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(चौधरी अमरसिंह, इन्दोरा, काँगड़ा)

मेरा अनुभव बहुधा पाठकों को अनोखा प्रतीत होगा, परन्तु सत्य लिखना व सत्य का प्रचार करना अच्छी बात है इस कारण बिना किंचितमात्र बढ़ाये घटाये सच्ची घटनायें लिखी जाती हैं। मेरी आयु इस वक्त 50 वर्ष से ऊपर है। बचपन से ही मुझे आध्यात्मिक विद्याओं का बड़ा शौक था 10 वर्ष की आयु में मैं मैस्मरेजम के बहुत से कार्य कर सकता था। पीछे तो मैं साधना द्वारा अपनी शक्ति को ओर भी बढ़ाता रहा। मैंने ईश्वरी शक्ति की प्रणव, दुर्गा बीजमंत्र, गायत्री मंत्र द्वारा उपासना की इसके द्वारा इस प्रकार लाभ हुआ कि एक बार मैं एक ऐसे स्थान पर था कि जहाँ वैद्य इत्यादि कोई न था। वह स्थान ज्वर का भंडार था कोई व्यक्ति इससे न बचता था। मुझे भी भयंकर ज्वर हुआ। परन्तु ईश्वरीय शक्ति की कृपा से शीघ्र इससे छुटकारा मिला व स्वप्न में यह बताया गया कि अमुक दिवस तुम ज्वर मुक्त हो जाओगे। चाकरी में एक बार एक दुष्ट अफसर ने बहुत तंग किया तो निज गुरुजी को वह सर्व ब्यौरा बताने पर उनके आग्रह से ईश्वरीय शक्ति से संकट निवारण की प्रार्थना की गई। प्रति दिवस 10 मिनट एक मास तक प्रार्थना करने पर बिना किसी असुविधा के उस संकट से छुटकारा मिला ईश्वरी शक्ति से बिना प्रार्थना किये भी कई बार घोर संकटों से बचने के उपायों के संकेत प्राप्त हुये। जिन पर चलने से संकटों से मैं बच गया। सबसे बड़ा व अमूल्य लाभ जो मुझे ईश्वरी शक्ति की उपासना से निष्काम भक्ति करते प्राप्त हुआ वह यह है आत्म शान्ति। मेरा मन बहुत शान्त रहता हैं।

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