मनुष्य सहस्र वार नीचे गिरता है, उसे सहस्र वार ऊंचे उठने का प्रयत्न करना चाहिये प्रतिवार उस सीमा से कुछ अधिक ऊंचा, जहाँ से वह गिरा था। पूर्णता प्राप्त करने का यही प्रर्व्यथ साधन है।
----***----