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December 1947

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अखण्ड ज्योति के पाठकों को कुछ आवश्यक सूचनाएं

(1) यह अंक इस वर्ष का अन्तिम अंक है। इस अंक के साथ अधिकाँश ग्राहकों का चंदा समाप्त हो जाता है। पाठकों से प्रार्थना है कि अपना चन्दा मनीआर्डर से भेज दें। बी.पी. में व्यर्थ ही पाँच आने अधिक खर्च पड़ते हैं। अकारण पाँच आने गंवाना कोई बुद्धिमत्ता नहीं है।

(2) देर में चन्दा भेजने वालों को पिछले अंकों से वंचित रहना पड़ता है क्योंकि कागज की अव्यवस्था के इस जमाने में प्रायः उतनी ही प्रतियाँ छपती हैं जितने ग्राहक रजिस्टर से दर्ज होते हैं। इसलिए पाठक, अपना चन्दा शीघ्र ही भेज दें, जिससे उनकी फाइल अधूरी न रहे।

(3) मनीआर्डर कूपन पर अपना ग्राहक नम्बर और पूरा पता हिन्दी या अंग्रेजी में साफ-साफ लिखना चाहिए। अधूरा या घसीट कर लिखा हुआ पता ठीक प्रकार न पढ़ा जाने से कुछ का कुछ दर्ज हो जाता है और पत्रिका बीच में ही गुम होती रहती है।

(4) पुराने ग्राहक अपना ग्राहक नम्बर अवश्य लिखें। नये ग्राहक मनीआर्डर कूपन पर “नया ग्राहक” शब्द लिख दें। जिन्हें ग्राहक न रह भी हो वे एक कार्ड भेज कर अपने निर्णय की सूचना दे दें।

(5) अधूरे वर्ष का हिसाब रखने में हमें बड़ी भारी असुविधा होती है। उधर ग्राहकों की फाइलें भी अधूरी रहती हैं। इस वर्ष से स्थायी ग्राहकों के पते छपे हुए रहेंगे, ताकि पत्रिका पहुँचने में गड़बड़ी न हो, परंतु अधूरे वर्ष के हिसाब वालों के पते न छपाये जा सकेंगे इसलिए जिनका हिसाब बीच के किसी महीने में चलता है उन ग्राहकों से विशेष आग्रह पूर्वक अनुरोध है कि अगले वर्ष के शेष महीनों का भी चन्दा भेजकर अपना हिसाब शुरू साल से ही रखें।

(6) यदि कभी पता बदलवाना हो तो (1) ग्राहक नम्बर (2) पुराना पता (3) नया पता, तीनों बातें लिखकर सूचना देनी चाहिए। केवल नया पता भेजने से पता बदलना कठिन होता है।

(7) यहाँ से हर महीने दो बार भली प्रकार जाँच कर पत्रिका भेजी जाती है। फिर भी यदि किसी महीने का अंक न पहुँचे तो उस महीने के भीतर ही न पहुंचने की सूचना हमें भेज देनी चाहिए। कई महीने बाद सूचना भेजने पर पुराने अंक समाप्त हो जाते हैं, तब उन्हें भेजना कठिन होता है।

(8) अखंड ज्योति के ग्राहक बढ़ाना एक प्रकार से सतोगुणी फल उत्पन्न करने वाले वृक्ष लगाना है। इससे (1) ग्राहकों को आत्म कल्याण का सुख शान्ति का मार्ग मिलता है (2) अखंड ज्योति की शक्ति बढ़ाने से वह लोक सेवा के कार्यों को अधिक मात्रा में, अधिक शीघ्रता से, अधिक सफलता के साथ पूरा करती है। इस प्रकार अखण्ड ज्योति के ग्राहक बढ़ाना एक स्वल्प श्रम का महान पुण्य कार्य है। इस दिशा में शक्तिभर प्रयत्न करने के लिए हम अपने पाठकों से अनुरोध करते हैं।

(9) कोई सज्जन बैंक से रुपया न भेजें। यदि भेजना ही हो तो आठ आना अधिक भेजें। क्योंकि यहाँ की बैंक छोटे से छोटे चैक पर आठ आना कमीशन चार्ज करती है।

विनीत

व्यवस्थापक “अखण्ड ज्योति” कार्यालय मथुरा।


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