अखण्ड ज्योति जनवरी मास में एक छोटा सा विशेषाँक या विषयाँक कई वर्षों से निकालती आ रही है। पर इस वर्ष स्थिति असाधारण है। कागज की कठिनाई ऐसी विचित्र है कि दो-दो महीने तक एक रिम नहीं मिलती। दूसरी ओर हमें भी साम्प्रदायिक उपद्रवों से पीड़ित बन्धुओं की सेवा सहायता में अपना अधिकाँश समय लगाना पड़ रहा है। ऐसी दशा में इस जनवरी में विशेषाँक न देकर आगामी किसी महीने में शीघ्र ही एक अच्छा विशेषाँक भेंट करेंगे। विषय ऐसा उत्तम रखा जाएगा जिसकी उपयोगिता को पाठक एक स्वर से स्वीकार करेंगे।
संपादक