लड़कपन स्वर्गीय आनन्द का समय है। जवानी धन कमाने का समय है। किन्तु बुढ़ापा केवल संचित किये हुए धन से सुख की प्राप्त करने का समय नहीं है, बल्कि ईश्वर का भजन करने का भी समय है।
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पिता वह नहीं, जिसने तुम्हें केवल पैदा कर दिया, बल्कि वास्तविक पिता वह है, जिसने तुम्हें सचमुच मनुष्य बनाने का तन-मन-धन से प्रयत्न किया।