VigyapanSuchana

December 1944

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पाठकों को आवश्यक सूचनाएं।

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(1) इस अंक के साथ अखंड ज्योति के अधिकाँश पाठकों का चंदा समाप्त हो जाता है। सन् 45 का चन्दा मनीआर्डर से भेजने की प्रार्थना है। वी. पी. मँगाने में व्यर्थ ही पाँच आने पाठकों अधिक देने पड़ते हैं।

(2) कागज, छपाई की महंगाई कई गुनी हो जाने के कारण विवश होकर अखंड ज्योति चन्दा बढ़ाना पड़ा है। सन् 45 का चन्दा दो रुपया भेजना चाहिए। कोई सज्जन कमी के लिए न लिखें।

(3) जो महानुभाव गत वर्ष बीच में, ग्राहक बने थे उनको पिछले चन्दे में पूरे एक वर्ष तक पत्रिका मिलेगी। किन्तु आगे के शेष महीनों का चन्दा 2 रुपया वार्षिक के हिसाब से देना होगा।

(4) वर्ष के बीच के महीनों से चन्दे का हिसाब रखने में हमें बहुत कठिनाई होती है। इसलिए जिन महानुभावों का हिसाब वर्ष के बीच में किसी महीने से होता है उनसे बहुत अनुरोध पूर्वक प्रार्थना है कि सन् 45 के शेष महीनों का चन्दा 2 रुपया वार्षिक के हिसाब से भेज दें। इससे हमें हिसाब रखने में बहुत सुविधा रहेगी।

(5) कन्ट्रोल की सरकारी आज्ञाओं के अनुसार आज कल कागज हम उतना ही ले पाते हैं जितने कि ग्राहक हैं इसलिए आपको अपना चंदा दिसम्बर में ही भेज देना चाहिए ताकि जनवरी का ‘सिद्ध अंक’ दिया जा सके। गत वर्ष जिनका चंदा देर से आया था, वे विशेषाँक से वंचित रहे थे। इस बार भी जो सज्जन देर से चंदा भेजेंगे गत वर्ष की भाँति जनवरी के महत्वपूर्ण अंक से वंचित रह सकते हैं।

(6) अखण्ड ज्योति के संपादक आचार्य श्रीराम शर्मा की 32 वीं जन्म गाँठ ता0 9 दिसम्बर को है। इस अवसर पर हर एक अखण्ड ज्योति के प्रेमी का कर्त्तव्य है कि अपने चंदे के साथ कम से कम एक नये ग्राहक का चन्दा और भिजवाने का प्रयत्न करें।

(7) साधारण लिफाफे में नोट आदि भूलकर भी न भेजना चाहिए। ऐसे लिफाफे आमतौर से रास्ते में गुम हो जाते हैं। साथ ही यह कानूनी जुर्म भी है।

मैनेजर “अखण्ड ज्योति” कार्यालय, मथुरा।

तारीख 9 दिसम्बर सन् 44 को

आचार्य श्रीराम शर्मा की 32 वीं जन्म गाँठ है।

इस अवसर पर

अखंड ज्योति के ग्राहक बढ़ाने का प्रयत्न कीजिए।

आपके थोड़े से प्रयत्न से अखण्ड ज्योति के

ज्ञान यज्ञ में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी।

ज्ञान यज्ञ में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी।


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