दही-भूलोक का अमृत है।

December 1944

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दही के नित्य प्रयोग करने से मनुष्य-जीवन कितना बढ़ सकता है इस बात का पता इस्तम्बुल से डाक द्वारा आये हुए एक समाचार से लगता है। यह समाचार गुजराती भाषा के “जन्म-भूमि” नामक पत्र में छपा है। उसका अनुवाद नीचे दिया जाता है—

‘तुर्की (टर्की) में 150 वर्ष से ऊपर की उमर वाले आदमी जीवित हैं। ये लोग तुर्की के पूर्वी विभाग में रहते हैं और उनको मुख्य खुराक दही है।

इन दीर्घ जीव मनुष्यों में से सब से वृद्ध सेनापती अल्ली हैं। वे पूर्व एन्टोलिया के अल-अजीक नगर में रहते हैं। वे दुनिया के सम्भवतः सबसे वयोवृद्ध व्यक्ति मालूम होते हैं। इनकी सगी बहिन 137 वर्ष की है। जो तुर्की की सब से वयोवृद्ध स्त्री है।

सेनापति अल्ली ज्यादा बोल नहीं सकते। उनकी कर्णेन्द्रिय भी मन्द हो गई हैं तो भी इनकी साधारण तन्दुरुस्ती अच्छी है। रात्रि को वे केवल चार घण्टे सोते हैं। ज्यादा समय उनका चिलम पीने में खर्च होता है। हाल में उनके नये दाँत निकले हैं।

1819 की साल की ग्रीक लोगों से जो लड़ाई हुई थी उसमें अल्ली सा, सेनापति बनाकर भेजे गये थे। उसके बाद वे क्रीमियन युद्ध में भी लड़े थे। इसके बाद अपनी सौ वर्ष की आयु पूरी की 1846 में। सर्बिया में जब पहिला बलवा हुआ था उसे शाँत कराने में सेनापति अल्ली ने भाग लिया था।

आये हुए समाचार से मालूम हुआ है कि तुर्की में 6421 मनुष्यों ने अपनी जिन्दगी के 100 वर्ष पूरे कर लिये हैं और आगे बढ़ रहे हैं। इन में से 3985 स्त्रियाँ हैं और 2436 पुरुष हैं।”

दही ऐसा ही बलवर्धक पदार्थ है उसे खाने से दीर्घ जीवन प्राप्त होता है।


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