बिच्छू के काटे का इलाज

December 1944

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(लेखक—श्री गणेशदत्त शर्मा ‘इन्द्र’ आगरा)

बिच्छू के काटने पर इलाज में जल्दी करनी चाहिए। इसके विष की यही पहिचान है कि काटे जाने के बाद शरीर में झनझनाहट होती है, स्थान भारी होता है। यदि भयंकर बिच्छू ने काटा तो शरीर में जलन होती है, पसीना छूटने लगता है, पीड़ा के मार अंग फटने लगता है। नाखूनों का रंग पीला, हरा, या नीला हो जाता है। नींद आने लगती है। मनुष्य प्रलाप करता है। नाक या मुँह से काले रंग का खून गिरने लगता है शरीर पर फफोले पड़ जाते हैं। प्यास खूब लगती है। पेशाब रुक जाता है। बिच्छू द्वारा काटे गये व्यक्ति की दशा देखकर ही उसका उपचार करना चाहिए। यदि बिच्छू देख लिया हो तो उसके अनुसार ही चिकित्सा करना जरूरी है। ‘काटने वाले बिच्छू को तत्काल मार डाला जाय तो विष ज्यादा नहीं चढ़ता’ ऐसा लोगों का अनुमान है किन्तु इसकी सत्यता में सन्देह अवश्य है।

जब बिच्छू काटे तो फौरन उस काटे हुए स्थान से चार छः अंगुल ऊपर एक रस्सी से कस कर बन्ध लगा दो और उससे ऊपर एक बन्ध उतने ही फासले पर और लगा दो। बन्ध खूब कसकर लगाया जाय ताकि शरीर में बहने वाले खून का आवागमन रुक जाय। यदि ऐसे अंग में काटा हो जहाँ बन्ध नहीं लगाया जा सकता हो तो किसी पैने औजार से जैसे उस्तरा, चाकू या सुई से उस स्थान को फौरन इतना कुरेद डालों कि खून बहने लगे। इसके बाद “कारबोलिक एसिड” या “ऐसेटिक एसिड” में सुई का एक फाया भिगो कर रख दो अथवा कुरेदने के बाद “परमेंगनेट आफ पोटास” को बारीक पीस कर उस पर रखकर पट्टी बाँध दो। लगाने की दवा के साथ ही कोई सी दवा खिलाने को भी देना चाहिए। हम बिच्छू का कहर नष्ट करने वाले कुछ नुस्खे यहाँ देते हैं।

गौ के घी में सेंधा नमक मिलाकर गरम कर लो और दंश स्थान पर लगाओ।

जमाल गोटे को घिसकर काटे हुए स्थान पर लगाओ।

कद्दू का डनठल पानी में घिसकर काटे हुए स्थान पर लगा दो।

“लाइकर अमोनिया” को काटी हुई जगह पर लगा दो।

बिच्छू काटे की झनझनाहट को हाथों से दबा-दबाकर दंश की ओर ले जाओ। बाद में गीली राख काटी हुई जगह पर बाँध दो।

मूली और नमक पीसकर दंश स्थान पर बाँध दो।

साँभरी नमक एक-एक आना भर मरीज को बार-बार खिलाओ।

प्याज का रस काटे हुए स्थान पर निचोड़ो।

मोरपंख को चिलम में रखकर पिलाने से आराम होगा।

काटे हुए स्थान पर चूहे की मेंगनी पानी के साथ पीस कर लेप करो।

नींबू के रस में बकरी की मेंगनी पीस कर लेप कर दो।

सूरजमुखी का पत्ता मसल कर फौरन सुँघा दो।

पलास के बीज अकौए के दूध में पीस कर लगा दो।

बेर की पत्तियाँ पीस कर दंश स्थान पर लुगदी बाँध दो।

अपामार्ग की जड़ दंश-स्थान पर लगा दो

प्याज और गुड़ खिलाओ।

चूना और सेंधा नमक दंश-स्थान पर लगा दो।

घी में सेंधा नमक मिलाकर लगा दो।

सुपारी घिसकर लगाओ।

आशा है, इन दवाओं से लोग लाभ उठावेंगे।


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