(बाइबिल की वाणी)
वैर से तो झगड़े उत्पन्न होते हैं, पर प्रेम से सब अपराध ढ़क जाते हैं। समझ वालों के वचनों में त्रुटि पाई जाती है, पर निर्बुद्धि की पीठ के लिये कोड़ा है।
10।12,13।
मत कह कि जैसा उसने मेरे साथ किया वैसा ही मैं भी उसके साथ करूंगा और उसके काम के अनुसार पलटा दूँगा।
24। 29।
जब तेरा शत्रु गिरे तब तू आनंदित न हो और जब वह ठोकर खाए तब तेरा मन मगन हो। कहीं ऐसा न हो कि यहोवा यह देखकर बुरा माने और अपना कोप तुझ पर उतारे।
24।17,18।
यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसको रोटी खिलाना और यदि वह प्यासा हो तो उसे पानी पिलाना क्योंकि इस रीति से तू उसके सिर पर अँगारे डालेगा और यहोवा तुझे इसका फल देगा।
24।21,22।
मूर्ख को उसकी मूढ़ता के अनुसार उत्तर न देना, ऐसा न हो कि तू भी उसके तुल्य ठहरे।
26। 4
यह मन ताको दीजिये, सुठि सेबक भल सोइ।
सिर ऊपर अवरा सहै, तऊ न दूजा होइ॥
प्रेम हजारी कापड़ा, तामें मैल न समाइ।
साखी काली काँवली, भावै तहाँ बिछाइ॥
प्रेम वियोगी तन विकल, ताहि न चीन्है कोइ।
तंबोली के पान ज्यों, दिन दिन पीला होइ॥
जिहि हिरदै हरि आइयाँ, सो क्यू छाँना होइ।
जतन जतन कर दाविये, तऊ उजाला होइ॥
—सन्त कबीर।