देश सेवा का मार्ग

May 1942

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प्लेटो ने एक स्थान पर लिखा है कि-’किसी देश का इससे अधिक सौभाग्य क्या हो सकता है कि उसमें श्रेष्ठ आचरण वाले स्त्री-पुरुषों का बाहुल्य हो।’ कवि वाल्ट व्हाइट मैन का कथन है कि-’किसी देश की महत्ता उसके ऊँचे भवनों, शिक्षालयों, सम्पत्ति कोषों से नहीं हो सकती। बलवान् और चरित्रवान् व्यक्ति ही अपने देश को महान बना सकते हैं। वह बड़ा ही भाग्यशाली राष्ट्र है, जिसके निवासी उच्च आचरण को अपना आदर्श मानते हों।’ जर्मनी के भाग्य विधाता हिटलर ने एक स्थान पर लिखा है-’हमारे देश को निर्बल स्वास्थ्य वाले धुरन्धर विद्वानों की अपेक्षा ऐसे व्यक्ति यों की अत्यधिक आवश्यकता है, जो भले ही कम पढ़े लिखे हों परन्तु वे स्वस्थ हों, सदाचारी हों, आत्मविश्वासी हों और दृढ़ इच्छाशक्ति वाले हों।’ नित्शे ने अपनी ईश्वर प्रार्थना में कहा था-’प्रभो! उच्च आदर्श वाले अधिक व्यक्ति यों को यहाँ उत्पन्न कर।’

देश की सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि हम उच्च आचरण वाले, निर्भीक, साहसी, सदाचारी और स्वस्थ मनुष्यों की संख्या बढ़ावें। सुख, स्वराज्य, सुशासन तब तक किसी देश में स्थिर नहीं रह सकता, जब तक कि वहाँ के निवासी मानवोचित गुणों वाले न हों, वे मानवता का उत्तरदायित्व अनुभव न करते हों। निर्बलता, कायरता, भीरुता, छल, पाखंड और प्रवंचना का जब तक जोर रहेगा, तब तक दासता और दुर्भाग्य हमारा पल्ला नहीं छोड़ सकते। महात्मा गाँधी का कथन है कि “शारीरिक और मानसिक स्वस्थता की आवश्यकता जो लोग अनुभव करते हों और जो अपने को सब दृष्टियों से बलवान बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहें, ऐसे ही देश सेवकों की भारत माता को आवश्यकता है। हीन चरित्र वालों से देशोद्धार की भला क्या आशा की जा सकती है?’


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