प्रत्येक आदमी अपने विचारों के तंग अथवा विशाल चक्र में घूमता है।
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जो कुछ भी तुम अपने अन्तरात्मा में, मन में सोचते हो, वही तुम्हारे जीवन में बाहर प्रकट हो जायगा, और जब तक तुम्हारी विचारधारा में परिवर्तन न होगा तब तक तुम्हारा बाह्य आचार और नियम पालन साथ न देगा।
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जो एक उद्देश्य को अपने सामने रखता है, उसे सब वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हैं।