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Akhand Jyoti
Year 2000
Version 2
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June 2000
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विद्वान वह है जिसने आत्मज्ञान पाया और अपने को उत्कृष्ट बनाया।
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Page Titles
क्राँति -बीज
साहस और इच्छाशक्ति से ही हुई है मानवी प्रगति
VigyapanSuchana
सिद्धि का मर्म-निष्काम कर्म
VigyapanSuchana
परमचेतना का चुना हुआ देश भारत
हो जीवन के तार तरंगित की स्वर-लहरियों से
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इतना आसान नहीं है कुंडलिनी जागरण
आज भी देखे जा सकते हैं अष्टावक्र
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असमर्थों को भी पार लगाती सामूहिक उपासना
पुण्य धर्म की खेती है - सत्य
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दमन दान और दया
चिरपुरातन, फिर भी चिरनवीन वास्तुशास्त्र
करुणा और विवेक से जनकल्याण
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मानव-जीवन एक पवित्र धरोहर
पवित्र कार्य का माना गया (kahani)
सक्षम-सबल है, आज की नारी
प्रज्ञा परिजनों के लिए सात प्रतिबंध
आत्मिक प्रगति का ककहरा
आत्मिक प्रगति का उच्चस्तरीय मार्गदर्शन है इन पत्रों में
जिनने ब्रह्मकमल को पूरी तरह खिलाया
महाशक्ति गायत्री का साकार विग्रह थे वे
भावभरे पुरुषार्थ के लिए विशेष आह्वान
अपनों से अपनी बात-1 - प्रतिभाओं की सिद्धि से महायज्ञ की महापूर्णाहुति
अपनों से अपनी बात-2 - जलते दीपक संपन्न करेंगे यह महापूर्णाहुति
अपनों से अपनी बात-3 - संभागीय महापूर्णाहुति के बाद अब है तीन स्तरों वाला अति महत्वपूर्ण चतुर्थ चरण
आत्मदीपक जल रहे हैं (kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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