मनुष्य का गौरव इस बात में है कि वह नेक राह पर चले और अपने पीछे ऐसी परंपरा छोड़ जाए जिसका अनुकरण करते हुए पीछे आने वाले लोग अपना रास्ता खोज सकें। हिम्मत और बहादुरी की खरी पहचान यह है कि वह कठिनाइयों और प्रलोभनों के बीच जरा भी विचलित न हो। जिसने इनसानियत के आदर्शों को छोड़ दिया, उसके पास बचा ही क्या? भले ही ऐसा व्यक्ति अमीर सत्ताधारी या विद्वान क्यों न हो, उसे खोखला ही समझना चाहिए।