संस्कार एक औषधि (Kavita)

August 1999

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आज जरूरत है मानव को आध्यात्मिक उपचार की। संस्कार है एक मात्र औषधि व्याकुल संसार की॥

भोगवाद ने भौतिकता का मापदण्ड अपनाया है, मानवीय मूल्यों को हमने बिलकुल यहाँ भुलाया है,

समझ लिया साधन को सब किंतु साध्य को भूले हम, और मूर्खता को चतुराई समझ, बुद्धि पर फूले हम,

आज माँग है दृष्टिकोण में उसके तुरत सुधार की। संस्कार है एकमात्र औषधि व्याकुल संसार की॥

विद्या शिक्षा बनी, गुरु बस शिक्षक रहे, पढ़ाने में, और शिष्य की शक्ति लग गई ध्वंस-वृत्ति अपनाने में,

धन-अर्जन के लिए समर्पित हुए कर्म दिन-रातों में उच्छृंखलता दिखी युवा व्यवहार वेश बातों में,

चाल उलट देनी है अब तो उनके इस व्यवहार की। संस्कार है एकमात्र औषधि व्याकुल संसार की॥

संस्कार थे सुफल श्रेष्ठ ऋषियों के अनुसंधानों के सिद्ध रसायन थे उनके तप के दैवी अनुदानों के,

यहाँ मनोविज्ञान श्रेष्ठ जीवन का भाव जगाता था, व्यावहारिक अध्यात्म व्यक्तियों को उत्कृष्ट बनाता था,

आवश्यकता हुई पुनः उस दैवी आविष्कार की। संस्कार है एकमात्र औषधि व्याकुल संसार की॥

हम सबका दुर्भाग्य कि हमने भुला दिया संस्कारों को, आँख मूँद कर अपनाया हमने पाश्चात्य विचारों को,

इन सबका परिणाम दीखता पथ भूले इनसानों में, अनाचार-अन्याय हीनता हिंसा के दीवानों में,

अब ताक बची एक आस है उनके पुनरुद्धार की। संस्कार है एकमात्र औषधि व्याकुल संसार की॥

आओ, लें संकल्प कि फिर से संस्कार अपनाएँगे, ऋषिप्रणीत जीवन-शैली से प्रबल प्रेरणा पाएँगे,

श्रद्धा और विश्वास जगेगा, आस्तिकता लहराएगी, मानवता फिर एक विलक्षण जीवन का पथ पाएगी।

राह तजेगी दुनिया पतन-पराभव-पापाचार की। संस्कार है एकमात्र औषधि व्याकुल संसार की॥

*समाप्त*


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