पूज्यवर ने अपनी सभी मानस पुत्रों, अनुयाइयों के लिए मार्गदर्शन एवं विरासत में जो कुछ लिख है- वह अलभ्य ज्ञानामृत (पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वांग्मय सत्तर खंडों में) अपने घर में स्थापित करना ही चाहिए। यदि आपको भगवान ने संपन्नता दी है, तो ज्ञानदान, कर पुण्य अर्जित करें। विशिष्ट अवसरों एवं पूर्वजों की स्मृति में पूज्यवर का वांग्मय विद्यालयों, पुस्तकालयों में स्थापित कराए। आपका यह ज्ञानदान आने वाली पीढ़ियों तक को सन्मार्ग पर चलाएगा, जो भी इसे पढ़ेगा धन्य होगा।