आदर्शों का मूल्य
आदर्शों के लिए हमारे मनीषियों ने एक अनूठा शब्द खोजा है - जीवन मूल्य, अर्थात् जीवन ही जिसका मूल्य है। उसके महत्व की कल्पना या तुलना इससे कम में की ही नहीं जा सकती। मनुष्य को सबसे बढ़कर जीवन ही प्रिय है। चाहे करोड़ों रुपया हो पर जीवन संकट में पड़ा हो तो उसे बचाने के लिए सारी संपत्ति ही नहीं विद्या, अधिकार, ज्ञान, परिवार, पत्नी, बच्चे, समाज सब कुछ जीवन की तुलना में गौण लगता है और यह विस्मय-विमुग्ध कर देने वाली बात है कि जिस जीवन की तुलना में सब कुछ तुच्छ है, वह जीवन आदर्शों के लिए बलि चढ़ा देना श्लाघनीय समझा गया है। यही है हमारी संस्कृति की धरोहर-आदर्शों की पराकाष्ठा।
-राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बने