प्रगति पथ पर अग्रसर प्रज्ञा परिवार - आई अब जागृति की बेला, सोने वाले जागो रे

January 1987

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भगवान राम ने जब समुद्र बाँधा तो नल, नील रीछ बानरों से भी बढ़कर उस गिलहरी के पुरुषार्थ को सराहा गया जो अपनी पूँछ में गली धूलि से समुद्र पाटने चली थी। अवतार सत्ता ने उसे अकिंचन समर्पित प्राणी को स्नेह से दुलारते हुए कहा था गिलहरी मेरी वास्तविक सामर्थ्य तो ही है। तेरे पास लगन है, साहस है संकल्प है एवं सत्य के पथ पर चलने की अडिगनिष्ठा है। प्रस्तुत कथानक की झाँकी प्रज्ञा अभियान के बढ़ते चरणों में गिलहरी की भूमिका निभा रहे देवमानवों के प्रयासों के रूप में अपने चारों ओर देखी जा सकती है।

शांति कुँज में प्राचार्य की मॉरल एजुकेशन ट्रेनिंग शान्ति कुँज (हरिद्वार)। एक वर्ष से चल रहे नैतिक शिक्षा प्रशिक्षण के अगले चरण में उ.प्र. शासन के राजकीय विद्यालयों के प्रधानाचार्यों का नैतिक शिक्षा प्रशिक्षण सत्र भाव भरे वातावरण में शान्ति कुँज के लक्ष्मी हाल में प्रारंभ हो गया। उद्घाटन उत्तर प्रदेश शासन के शिक्षा सचिव माननीय श्री जे.सी. पंत ने किया।

विभिन्न जनपदों से पधारे प्रधानाचार्यों को सम्बोधित करते हुए सचिव महोदय ने शान्ति कुँज के वातावरण और शिक्षण की सराहना करते हुए पिछले एक वर्ष के प्रशिक्षण की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और बताया कि उतर प्रदेश में अनेक समस्याओं के रहते हुए भी इस प्रशिक्षण से शिक्षा के स्तर पर अभूतपूर्व सुधार हुआ है।

इसे एक क्रान्तिकारी मोड़ समझा जा रहा है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश, उड़ीसा बिहार हिमाचल प्रदेश गुजरात एवं राजस्थान प्रशासन भी अपने शिविर आयोजित करने के लिए प्रयत्नशील है। उत्तर प्रदेश के मध निषेध विभाग की तिथियाँ प्रायः निर्धारित हो चुकीं है। राज्य ग्राम्य विकास विभाग भी चाहता है कि उनके अधिकारियों के लघु प्रशिक्षण सत्र चले। यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटे अधिकारियों में ईमानदारी जिम्मेदारी और कर्मनिष्ठा का अभूतपूर्व विकास हुआ है। प्रशासन तंत्र के सुचारु संचालन के यही मूलभूत तत्व है। यहाँ से शिक्षण प्राप्त करने गये शिक्षक एवं अधिकारीगण सही अर्थों में सृजन साधक बनकर गये हैं।

कन्या विद्यालय को इन्टरमीडिएट की मान्यता

आँवलखेड़ा (आगरा) परम पू. गुरुदेव की जन्मभूमि में बनी गायत्री शक्तिपीठ से प्रारम्भ राजकीय कन्या विद्यालय को इन्टरमीडिएट की मान्यता इसी वर्ष से मिल गई है, उससे इस क्षेत्र में कन्या शिक्षण के लिये अभूतपूर्व उत्साह जागृत हुआ है, यहाँ तक कि बहुयें भी पर्दा छोड़कर उच्च शिक्षा के लिए आगे आ रही हैं।

उल्लेखनीय है कि कन्या शिक्षा की दृष्टि से यह क्षेत्र अब तक बहुत पीछे था। दूर दूर तक कोई कन्या विद्यालय नहीं था। गायत्री शक्तिपीठ ने अपना भवन देने का वचन दिया तो शासन ने कन्या विद्यालय खोल दिया। अब उसमें ग्यारहवीं कक्षा में भी कन्यायें प्रवेश ले रहीं हैं।

राष्ट्रीय एकता सम्मेलन श्री गणेश

वाराणसी (उ.प्र.) तैयारी के लिये न्यूनतम समय मिलने पर भी गायत्री परिवार वाराणसी के परिजनों ने जितना शानदार राष्ट्रीय एकता सम्मेलन सम्पन्न किया उसे देखकर लोगों ने इसे दैवी चमत्कार की संज्ञा दी।

आयोजन में प्रतिदिन बड़ी संख्या में प्रबुद्ध वर्ग सम्मिलित हुआ इसके अतिरिक्त पूर्वांचल के जौनपुर गाजीपुर मिर्जापुर, आजमगढ़ बलिया एवं बिहार के रोहतास और पलामू जिले के प्रायः 15000 प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। लखनऊ कानपुर सुल्तानपुर इलाहाबाद बरेली तक से प्रतिनिधि आयें।

अन्य धर्मावलंबियों, गुरुद्वारों के ग्रन्थी सेन्टपाल चर्च के पादरी मुसलिम धर्म के मौलवियों ने राष्ट्रीय एकता मंच से संदेश दिये और इस आयोजन को भूरि भूरिक सराहा। आवास व्यवस्था के लिये भारतीय शिक्षा मन्दिर के प्राचार्य श्री प्रेम नारायण के लाल ने उल्लेखनीय सहायता की।

बड़ी संख्या में संस्कार और मिशन को घर-घर पहुँचने के संकल्प हुये।

बहराइच आयोजन-मिनी कुँभ

बहराइच (उ.प्र.) राष्ट्रीय एकता सम्मेलन और शतकुण्डी यज्ञ आयोजन की पूर्णाहुति में 50 हजार व्यक्ति सम्मिलित हुये। कुँभ जैसा वातावरण देखकर प्रशासन आश्चर्यचकित रह गया।

आयोजन का उद्घाटन करते हुये माननीय जिलाधीश महोदय बहराइच ने इस राष्ट्रीय एकता सम्मेलन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। सिख, ईसाई, मुसलिम, सभी समुदाय सम्मिलित हुए। खीरी-लखीमपुर, सीतापुर, हरदोई लखनऊ, फैजाबाद, गोण्डा तथा बस्ती जनपद के प्रायः 500 वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं ने सहयोग दिया। जल कलश यात्रा में 5 हजार महिलाओं ने सम्मिलित होकर नारी जागरण का उद्घोष किया।

धार्मिक सौहार्द का अद्भुत संगम

चुरु (राज.) शतकुंडी यज्ञ और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन इस क्षेत्र के लिये एक ऐतिहासिक यादगार बन गया है जिसमें एक ओर मुसलमान भाइयों ने भी यज्ञ में आहुतियाँ दी दूसरी ओर दुर्व्यसन, माँसाहार जैसी घृणित दुष्प्रवृत्तियों का परित्याग करने वालों का मेला-सा लग गया।

इस आयोजन में राजस्थान के अतिरिक्त, गुजरात तक से बसों में लोग आये। प्रबुद्ध व्यक्तियों ने भी इस अध्यात्म की गरिमा अनुभव की और बड़ी संख्या में दीक्षा लेकर उन्होंने अपने जीवन सतोगुणी दिशा में मोड़े। कट्टर पंथ के लिये विख्यात इस क्षेत्र में प्रतिगामिता की चूलें पूरी तरह हिल गई। सब तरफ धार्मिक सहिष्णुता के सतयुगी दर्शन हुये।

अनुपम! अवर्णनीय! अविस्मरणीय!

बाड़मेर (राज.) के इतिहास में आज तक ऐसा विशाल आयोजन कोई नहीं हुआ था जैसा इस बार शतकुंडी गायत्री महायज्ञ एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन हुआ। अनेक विघ्न बाधाओं और अकाल के बावजूद भी बड़ी भारी संख्या में नर नारी उपस्थित हुए। सम्मिलित होने वालों में सभी धर्म और वर्ग के लोग थे।

संगीत ओर प्रवचनों में राष्ट्र की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाने के सूत्रों पर प्रकाश डाला गया जिसकी प्रशासनिक अधिकारियों ने भूरि-भूरि सराहना की।

प्रवासी परिजनों का समागम हिमालय की गोद में

मंसूरी (उ.प्र.) केन्या के श्री हंसमुख रावत द्वारा संचालित “मंसूरी इन्टरनेशनल स्कूल” के सत्र समापन के शुभ अवसर पर केन्द्र के प्रतिनिधियों द्वारा हिमाच्छादित चोटियों के मध्य स्थित श्रीनगर एस्टेट में, 23 नवम्बर को शतकुण्डी यज्ञ सम्पन्न किया गया। अमेरिका, इंग्लैण्ड, केन्या, तंज़ानिया, जापान, इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया, कनाडा, जाम्बिया, बाँग्लादेश, साउथ अफ्रीका, कैमेरान, आबूधाबी, दुबई एवं नाइजीरिया से आए डेढ़ सौ से अधिक अभिभावकों ने पूज्य गुरुदेव की प्रेरणा पर स्थापित इस कन्या विद्यालय के प्राँगण में सपरिवार भारतीय संस्कृति के उस शाश्वत रूप का दर्शन किया जिसके प्रशिक्षण हेतु दिव्य संरक्षण में वे अपनी कन्याओं को 10 माह पूर्व, छोड़कर गए थे। केन्द्र से आए श्री शिवप्रसाद मिश्र, श्री दिव्यानन्द, डॉ. प्रणव पाण्ड्या एवं डॉ. अमलकुमार दत्ता ने अपने सहयोगियों के साथ विभिन्न पक्षों की महत्ता एवं देव संस्कृति के स्वरूप का प्रस्तुतीकरण लगभग 5000 की संख्या में उपस्थित मंसूरीवासियों के समक्ष किया। उत्तराखण्ड में हुए इस आयोजन ने पाश्चात्य संस्कृति में पले लोगों में एक नयी हलचल पैदा की है।

सामूहिक विवाह

मंदसौर (म.प्र.) केन्द्रीय प्रतिनिधि श्री बालकृष्ण उपाध्याय के संरक्षण में 62 विवाहों का सामूहिक आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। सामूहिक विवाह स्वर्णकार समाज द्वारा सम्पन्न कराये गये।

श्री उपाध्याय ने भारतीय समाज द्वारा विवाह जैसे धार्मिक समारोहों को विकृत रूप देने, दहेज, अलन-चलन तिथि, मुहूर्त, फिजूलखर्ची जैसी बुराइयों की ओर उपस्थित जनसमूह का ध्यान आकर्षित किया और बताया कि समाज को खोखला करने में इन्हीं का सबसे बड़ा हाथ है। उपस्थित जनसमूह में सैकड़ों लोगों ने अपने बच्चों के दहेज रहित आदर्श विवाह करने की प्रतिज्ञा की।

प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव

मेहसाणा (गुज) गायत्री शक्तिपीठ का प्राण प्रतिष्ठा समारोह केन्द्रीय प्रतिनिधि श्री केशरी कपिल के संचालन में बड़े त्यौहार जैसे वातावरण में सम्पन्न हुआ। गुजरात की प्रायः सभी शाखाओं के परिजन पधारे।

स्थानीय प्रशासन ने हर संभव सहयोग प्रदान कर आयोजन को सफल बनाने में पूरी सहायता प्रदान की। उन्होंने स्थानीय कार्यकर्त्ताओं की निष्ठा, लग्न और परिश्रम को हृदय से सराहा।


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