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Akhand Jyoti
Year 1986
Version 2
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June 1986
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दुराग्रहपूर्वक गलत राह पर चलते जाने की अपेक्षा भूल प्रतीत होने पर लौट पड़ना ही बुद्धिमानी है।
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Page Titles
समग्र श्रेष्ठता विकसित करें
अभी कमी है देवि!
सूक्ष्म शरीर का दिव्यीकरण
प्रेम एक - रूप अनेक
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आत्मोत्कर्ष के चार साधन....
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दृष्टिकोण का परिष्कार
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जीता कौन?
मनोनिग्रह और दिव्य शक्तियों का विकास
बुद्ध ने अपने ही मार्ग पर शिष्यों को भी चलाया (kahani)
प्रत्याहार साधना का स्वरूप और उद्देश्य
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आत्म साक्षात्कार - आत्मबोध
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विज्ञान ही नहीं अध्यात्म भी
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धर्म गाथाओं के साथ इतिहास न जोड़ें
चुम्बकत्व का असाधारण प्रभाव
धरती पर चेतना अंतरिक्ष से उतरी
मनुष्य की बलिष्ठ आत्म चेतना
भेड़ियों द्वारा पाले गये मनुष्य के बच्चे
जीवधारियों की विलक्षण चेतना शक्ति
रंगों की दुनिया का वैज्ञानिक विवेचन
स्वामी रामतीर्थ (kahani)
अन्य लोकों में भी जीवन है।
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प्राण विद्युत के भले-बुरे उपयोग - 1
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आयुर्वेद की पुरातन महिमा किस प्रकार जीवन्त हो
संगीत से सरसता की अभिवृद्धि
अपने पाप सबके सामने प्रकट करना (kahani)
इक्कीसवीं सदी की परिणति
गायत्री की महान महत्ता
महाभारत युद्ध में मरे योद्धा(kahani)
भोजन के साथ श्रद्धा और आनन्द जुड़ा रखें
बिगड़ती परिस्थितियों का एक मात्र उपचार
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शरीर की रुग्णता में मनोविकार प्रधान कारण
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अपनों से अपनी बात
तुम्हें अपने किये का फल मिल गया (kahani)
पंचकोशी-संपदा (kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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