चुम्बकत्व का असाधारण प्रभाव

June 1986

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अमेरिका के डाक्टर मेडलेनी वार्नेथी ने अपनी पुस्तक “बायोलॉजीकल इफेक्टस् ऑफ मेग्नेटिक फील्ड” पुस्तक के विस्तारपूर्वक यह सिद्ध किया है कि ब्रह्मांड के अगणित ग्रह घटक परस्पर चुम्बकीय शक्ति के आधार पर एक दूसरे के साथ जकड़े हुए हैं और अपनी-अपनी नियत कक्षा में परिभ्रमण करते हैं। पृथ्वी भी एक प्रकार का चुम्बक है। उसके दो सिरे उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव के रूप में जाने जाते हैं। ऊपर निवास करने वाले प्राणी और पाये जाने वाले पदार्थ भी चुम्बकीय शक्ति से अनुप्राणित होते हैं और अपने हिस्से की गतिविधियों को संचारित करते एवं अन्यायों की क्षमता को खींचकर अपने में धारण करते हैं। इसी प्रकार अनेक प्रकार की गतिविधियों का क्रमबद्ध सुसंचालन होता रहता है। वस्तुओं के बीच जकड़न पकड़ एवं स्थिरता में चुम्बकत्व का बहुत बड़ा योगदान रहता है।

रक्त संचार में जीवकोशों के पारस्परिक योगदान में शरीर में संव्याप्त चुम्बकत्व का अपने-अपने ढंग का योगदान होता है।

मैस्मरेजम विज्ञान में एक शरीर का बिजली का कुछ अंश दूसरे में प्रवेश करके रोगोपचार का निमित्त कारण बनता है। पुराने समय के चिकित्सक चुम्बक पत्थर को जादुई पाषाण कहते थे और उसे रोगियों के पीड़ित अंगों पर फिराकर उपचार करते थे। इस तथ्य को उनने इस आधार पर जाना और माना था कि शरीर के विभिन्न अव्यय किसी विशेष चुम्बकीय विधा से परस्पर बँधे और जकड़े हैं। साथ ही उनका तारतम्य एवं सामंजस्य भी बना रहता है। यदि उसमें किसी कारण अन्तर पड़ जाता है तो माँसपेशियाँ तथा जोड़ों की किसी जकड़न में शिथिलता आ जाती है और कई प्रकार के रोग उठ खड़े होते हैं।

चुम्बकीय चिकित्सा पद्धति का आविष्कार सोलहवीं शताब्दी के रसायनशास्त्री फिलिप्स पेरासेल्स ने किया था। उनने उन संदर्भ में अनेकों खोजें भी की थीं और मनुष्य शरीर में काम करने वाले अनेक क्षमताओं का सन्तुलन बिठाने और उनकी विकृतियों को सुधारने में अनेकों प्रयोग किये और सफल पाये थे। वे चुम्बक को पीड़ित स्थानों पर फिराकर जकड़न अकड़न, सूजन में कमी करते और पीड़ित स्थानों को राहत पहुँचाते थे। पीछे इस पद्धति का विधिवत् शास्त्र बना। जिसे समस्त योरोप में मान मिला और अनेक चिकित्सकों ने अपनी उपचार पद्धति में उसे सम्मिलित किया। उसे ‘मेग्निटों-थैरेपी’ के नाम से जाना जाने लगा। दर्द दूर करने में उसकी विशेष उपयोगिता सिद्ध हुई चुम्बक प्रभावित पानी से कुल्ले करने पर दाँत दर्द से राहत मिलने की जानकारी सर्वसाधारण में प्रचलित हो गई और वह घरेलू चिकित्सा की तरह अपनाई जाने लगी। सूजन दूर करने के लिए चुम्बक घिसकर उसका लेप किया जाने लगा।

स्विट्जरलैण्ड के डाक्टर मैस्मर ने तो इस पद्धति को वैज्ञानिक स्वरूप दिया और उपचार पद्धति को मैस्मरेजम नाम ही दे डाला। वे खनिज चुम्बक के स्थान पर मनुष्य के शरीर में रहने वाली चुम्बकीय शक्ति को दूसरे के शरीर में स्थानान्तरित करने की विधा अपनाते और अनेक रोगियों को कष्टमुक्त करते थे। होम्योपैथी के आविष्कर्ता हैनीमैन ने भी उस पद्धति की वैज्ञानिकता और क्षमता पर अपनी मुहर लगाई थी।

मालिश की विधि पहलवानों में प्रयुक्त होती है। सिर दर्द में सिर दबाया एवं मसला जाता है। थकान दूर करने के लिए हाथ पैरों की मालिश की जाती है। जन्म-जात शिशुओं एवं प्रसूताओं को लाभ देने का अभी भी प्रचलन है। दांपत्ति जीवन में कामोत्तेजना एवं नपुंसकता में इसी विद्युत शक्ति की बढ़ोतरी एवं कमी देखी की गई है।

मनुष्य के चेहरे पर प्रभावोत्पादक शक्ति जिसे ओजस्, तेजस्, सौंदर्य प्रतिभा आदि के रूप में देखा और जाना जाता है। वस्तुतः जैव चुम्बकत्व का ही उभार है।


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