Quotation

June 1986

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

किसी शास्त्र को इस दृष्टि से मत पढ़ो कि उसमें जो कुछ लिखा है वह तुम्हारे ही लिए है। वे अनेकों के लिए अनेक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिखे गये हैं। उनमें से उतना ही चुनो जो तुम्हारे लिए अनुकूल हो।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles